RBI Monetary Policy : नहीं होंगे लोन महंगे, न बढ़ेगी आपकी EMI, RBI ने रेपो रेट को स्थिर रखने का किया फैसला
RBI Monetary Policy : रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 5वीं बार रेपो रेट को स्थिर रखा है इसलिए इस बार भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा। RBI ने ब्याज दरें 6.5% पर बनाए रखी हैं, इसका मतलब लोन महंगे नहीं होंगे और EMI बढ़ने का खतरा नहीं है। यह निर्णय RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग में लिया गया, जो 6 दिसंबर से शुरू हुई थी। इससे आम जनता को राहत मिलेगी क्योंकि उनकी EMI में बढ़ोतरी होने की अब कोई सम्भावना नहीं है।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा, “हमने ब्याज दरों में कोई परिवर्तन नहीं किए हैं क्योंकि हमें लगता है कि इस समय इस स्तिथि पर इसकी आवश्यकता नहीं है।” इसमें यह भी बताया गया कि इस बार के बीच में बाजार में तनाव कम हो गया है, जिससे इस निर्णय को लेना सरल हुआ है।
जनवरी 2023 में RBI ने रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5% कर दिया था, लेकिन इस बार इसे स्थिर रख लिया गया है। पिछले वित्त वर्ष में RBI ने ब्याज दरें 6 बार बढ़ाई थीं, जिससे रेपो रेट में 2.50% की वृद्धि हुई थी।
क्या है RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) – RBI Monetary Policy Committee
RBI Monetary Policy Committee (MPC) में छह सदस्य होते हैं, जिनमें बाहरी और RBI अधिकारी शामिल हैं। गवर्नर के साथ, अधिकारी राजीव रंजन, कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, और डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा भी मौजूद हैं। इसके अलावा, बाहरी सदस्यों में शशांक भिड़े, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा भी शामिल हैं।
MPC की प्रमुख जिम्मेदारी ब्याज दरों को ऐसे तय करना है कि वे इकोनॉमी की वृद्धि को पूरा करें और महंगाई को नियंत्रित रखें। RBI का मुख्य लक्ष्य महंगाई को 2-6% के बीच रखना है।
रेपो रेट क्या है और इससे क्या प्रभाव पड़ता है?
रेपो रेट एक शक्तिशाली टूल है जिसका उपयोग RBI महंगाई से निपटने में करता है। जब महंगाई बढ़ जाती है, तो RBI रेपो रेट बढ़ाकर मनी फ्लो को कम करने का प्रयास करता है। रेपो रेट बढ़ाने से बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज महंगा होता है, जिससे वे अपने ग्राहकों को भी महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है और डिमांड में कमी आती है, जिससे महंगाई घटती है।
उदाहरण के रूप में, पिछले कोरोना काल में RBI ने रेपो रेट कम करके मनी फ्लो को बढ़ाया था ताकि इकोनॉमी में वृद्धि हो सके। इस बार की तुलना में, जब बाजार में स्थिति बेहतर है, RBI ने रेपो रेट को स्थिर रखा है ताकि अनावश्यक तनाव ना हो।
RBI की आगे की रणनीति – RBI Monetary Policy FY24 Plan
RBI Monetary Policy FY24 Plan – RBI ने अपनी मीटिंग में भी FY24 के लिए राष्ट्रीय ग्रौथ और महंगाई के अनुमान जारी किए हैं। इसके अनुसार, FY24 में रियल GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 7% कर दिया गया है, जबकि रिटेल महंगाई का अनुमान 5.40% पर बरकरार रखा गया है।
महंगाई से निपटने के लिए भी RBI ने कई उपाय किए हैं, जो अक्टूबर महीने की जानकारी के साथ जारी की गई हैं। इसमें बताया गया है कि रिटेल महंगाई अक्टूबर महीने में 6.83% रही है, जिसमें सब्जियों के दामों की कमी का बहुत बड़ा योगदान है। थोक महंगाई दर भी अक्टूबर में -0.52% रही है, जिसमें खाने-पीने के सामानों की कीमतों में गिरावट का असर है।
महंगाई ने अक्टूबर में 5 महीने के नीचे जाकर 4.87% पर आ गई है, जो सितंबर में 5.02% थी। खाने-पीने की चीजों की महंगाई भी कम होकर 6.61% पर आ गई है, जबकि पहले यह 6.62% थी।
महंगाई का सीधा असर लोगों के जीवन पर होता है, क्योंकि इससे खर्च में बदलाव होता है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होता है। इसलिए, महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।
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